आज, 13 नवंबर 2024, भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 984 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ, जबकि निफ्टी 23,600 के नीचे पहुंच गया। इस गिरावट ने निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। आइए समझते हैं बाजार में इस गिरावट के मुख्य कारण।
1. विदेशी निवेशकों की बिकवाली (FII Selling)
भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों (FIIs) की भारी बिकवाली का असर देखने को मिला है। अक्टूबर और नवंबर के शुरुआती दिनों में FIIs ने भारतीय शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर हिस्सेदारी बेची है।
- निवेशकों को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में बदलाव का डर है।
- अमेरिकी डॉलर की मजबूती भी विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रही है, जिससे वे उभरते बाजारों से दूरी बना रहे हैं।
2. ग्लोबल मार्केट में गिरावट का प्रभाव
वैश्विक बाजारों में भी उतार-चढ़ाव जारी है। अमेरिकी बाजार में अनिश्चितता, यूरोप की कमजोर अर्थव्यवस्था, और चीन की धीमी ग्रोथ का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा है।
- ग्लोबल मार्केट के इस गिरावट का सीधा असर सेंसेक्स और निफ्टी पर दिखा।
3. रुपए में कमजोरी
डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। आज रुपया 83.70 के स्तर पर पहुंच गया, जो निवेशकों के लिए एक और चिंता का कारण है।
- रुपए की कमजोरी से आयात लागत बढ़ती है, जिसका सीधा असर भारत के व्यापार घाटे पर पड़ता है।
- कमजोर रुपया विदेशी निवेशकों को भी हतोत्साहित करता है।
4. आईटी और मेटल सेक्टर पर दबाव
आईटी और मेटल सेक्टर में गिरावट भी इस नुकसान का एक बड़ा कारण रही।
- आईटी कंपनियों की आय में गिरावट और वैश्विक मांग में कमी ने इस सेक्टर को कमजोर किया।
- मेटल सेक्टर को चीन की कमजोर मांग का सामना करना पड़ रहा है, जो इस गिरावट में प्रमुख योगदान कर रहा है।
शेयर बाजार का हाल
- सेंसेक्स: 66,281 अंकों पर बंद हुआ, जिसमें 984 अंकों की गिरावट हुई।
- निफ्टी: 23,578 अंकों पर बंद हुआ।
क्या करें निवेशक?
- लॉन्ग-टर्म दृष्टिकोण अपनाएं:
विशेषज्ञों का कहना है कि गिरावट के इस दौर को लॉन्ग-टर्म निवेश के अवसर के रूप में देखें। - सावधानी से स्टॉक्स चुनें:
उच्च गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश करें, जो लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न दे सकते हैं। - घबराएं नहीं:
बाजार में उतार-चढ़ाव एक सामान्य प्रक्रिया है। धैर्य बनाए रखें और अच्छी रिसर्च के साथ निवेश करें।
आगे का अनुमान
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में अस्थिरता कुछ समय तक बनी रह सकती है। ग्लोबल फैक्टर्स और भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति बाजार की चाल तय करेगी।