भारत से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली जारी है। अक्टूबर महीने में विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी मार्केट से रिकॉर्ड 94,000 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली की है। यह सवाल उठता है कि क्या भारत की चमक फीकी पड़ रही है या इसके पीछे कुछ और कारण हैं। आइए जानते हैं इसकी वजहें और बाजार पर इसके प्रभाव।
बाजार में गिरावट और वैश्विक चिंताएं
अक्टूबर के महीने में विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली का एक मुख्य कारण वैश्विक आर्थिक चिंताएं और ब्याज दरों में वृद्धि है। अमेरिका में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में इजाफा किया है, जिससे अमेरिकी बॉन्ड्स का आकर्षण बढ़ गया है। ऐसे में निवेशकों ने जोखिम वाले बाजारों से पैसे निकालकर सुरक्षित विकल्पों में निवेश करना शुरू कर दिया है। भारत भी इसकी चपेट में आ गया है।
डॉलर का मजबूत होना
डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आने से भी विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से दूरी बना ली है। डॉलर के मजबूत होने से भारतीय निवेशों पर रिटर्न कम हो जाता है, जिससे निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके चलते कई निवेशकों ने अपने निवेश वापस ले लिए हैं।
भारत में वैल्यूएशन की चिंता
भारतीय शेयर बाजार की ऊंची वैल्यूएशन भी विदेशी निवेशकों के लिए चिंता का कारण बनी है। बाजार में कई स्टॉक्स की कीमतें इतनी बढ़ चुकी हैं कि विदेशी निवेशक उन्हें महंगा मान रहे हैं। इसके चलते वे मुनाफा कमा कर अपने निवेश वापस ले रहे हैं।
चीन और अन्य एशियाई बाजारों का आकर्षण
चीन और अन्य एशियाई बाजारों में सुधार की संभावनाओं ने भी विदेशी निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। ऐसे में उन्होंने भारतीय बाजार से पैसे निकालकर उन बाजारों में निवेश करना शुरू कर दिया है।
कैश मार्केट में बनी हुई है खरीदारी
हालांकि, एक अच्छी बात यह है कि विदेशी निवेशकों ने प्रायमरी मार्केट में एक्टिव रहकर कुछ निवेश बनाए रखे हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि वे भारत में पूरी तरह से अपनी रुचि नहीं खो चुके हैं, बल्कि केवल सेकेंडरी मार्केट से दूर हो रहे हैं।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा, और विदेशी निवेशकों की वापसी के लिए ब्याज दरों में स्थिरता और वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार की आवश्यकता होगी। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और लंबी अवधि में विदेशी निवेशक फिर से वापस आ सकते हैं।
निष्कर्ष अक्टूबर में 94,000 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली से भले ही भारतीय शेयर बाजार को झटका लगा हो, लेकिन यह अस्थायी है। निवेशकों को धैर्य रखने और बाजार की लंबी अवधि की संभावनाओं पर विश्वास रखने की जरूरत है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली का कारण वैश्विक चिंताएं हैं, लेकिन भारतीय बाजार में अभी भी अवसर मौजूद हैं।