डोनाल्ड ट्रंप ने डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी को लेकर जताई कड़ी आपत्ति

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सारांश:

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर क्रिप्टोकरेंसी और केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे अमेरिकी नागरिकों की वित्तीय स्वतंत्रता के लिए बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि ऐसी मुद्राएं सरकार को नागरिकों की सभी वित्तीय गतिविधियों पर नियंत्रण दे सकती हैं।


डोनाल्ड ट्रंप का बयान: CBDC पर प्रतिबंध की वकालत

राष्ट्रपति ट्रंप ने एक इंटरव्यू में कहा:

“CBDC नागरिकों की स्वतंत्रता पर हमला है। सरकार के पास आपके हर लेनदेन की जानकारी और नियंत्रण होगा, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”

ट्रंप ने केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को असली खतरा बताते हुए इसे बैन करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि इससे लोगों की वित्तीय स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी और सरकार को उनकी संपत्ति और खर्चों पर पूरी पकड़ मिल जाएगी।


क्रिप्टोकरेंसी और स्टेबलकॉइन पर ट्रंप की राय

  1. क्रिप्टोकरेंसी पर आलोचना:
    • डोनाल्ड ट्रंप ने बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को संभावित धोखाधड़ी बताते हुए कहा कि यह अमेरिकी डॉलर की स्थिरता को खतरे में डाल सकती है।
    • उनके मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी पारंपरिक वित्तीय प्रणाली को कमजोर कर सकती है और आर्थिक अनिश्चितता बढ़ा सकती है।
  2. स्टेबलकॉइन पर भी आपत्ति:
    • ट्रंप ने स्टेबलकॉइन (डॉलर जैसी मुद्राओं से जुड़े डिजिटल टोकन) को भी खतरा बताया। उन्होंने कहा कि ये क्रिप्टोकरेंसी डॉलर के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं और बाजार में भ्रम पैदा कर सकती हैं।

क्या है CBDC का मकसद?

CBDC (Central Bank Digital Currency) का उद्देश्य डिजिटल लेनदेन को अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक बनाना है। लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप का मानना है कि इसका इस्तेमाल सरकार द्वारा नागरिकों पर अतिरिक्त नियंत्रण के लिए हो सकता है। उनका तर्क है कि:

  • यह हर व्यक्ति के खर्चों और बचतों को सरकार की निगरानी में डाल देगा।
  • नागरिकों की वित्तीय गोपनीयता खत्म हो जाएगी।

क्रिप्टोकरेंसी समुदाय की प्रतिक्रिया

क्रिप्टोकरेंसी समर्थकों का कहना है कि ट्रंप का बयान डिजिटल वित्तीय नवाचार के खिलाफ है। उनका मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय स्वतंत्रता का भविष्य है और CBDC को बैन करने के बजाय इसके दुरुपयोग पर रोक लगाने के उपाय होने चाहिए।


अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य

  • भारत:
    भारत में डिजिटल रुपया लाने पर चर्चा चल रही है, और RBI इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है।
  • चीन:
    चीन पहले ही डिजिटल युआन को लागू कर चुका है और CBDC को मुख्यधारा में लाने की दिशा में काम कर रहा है।
  • यूरोप:
    यूरोपीय संघ भी “डिजिटल यूरो” के विचार पर काम कर रहा है।

विशेषज्ञों की राय

  • समर्थकों का तर्क:
    CBDC धोखाधड़ी और काले धन के लेनदेन को रोकने में मदद कर सकती है। यह अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है।
  • विरोधियों का तर्क:
    यह नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। क्रिप्टोकरेंसी के समर्थक CBDC को पूरी तरह से नियंत्रित प्रणाली मानते हैं।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान ने डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बहस को फिर से गर्म कर दिया है। जहां एक तरफ CBDC को पारदर्शिता और स्थिरता के लिए जरूरी बताया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ इसे नागरिकों की स्वतंत्रता पर बड़ा खतरा माना जा रहा है।

आपका क्या मानना है? क्या CBDC और क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय स्वतंत्रता के लिए सही हैं या इनके साथ जोखिम ज्यादा है? हमें कमेंट में बताएं।

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